अफगानिस्तान के विदेश मंत्री का भारत दौरा: काबुल में दूतावास फिर खोलेगा भारत, तालिबान ने दोस्ती का दिया भरोसा

 नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025 (न्यूज डेस्क): तालिबान शासन के बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी का भारत दौरा दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई देने वाला साबित हो रहा है। 9 अक्टूबर को शुरू हुए इस सात दिवसीय दौरे के दौरान मुत्ताकी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसमें भारत ने काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलने का ऐलान किया। मुत्ताकी ने स्पष्ट कहा कि अफगानिस्तान अपनी जमीन किसी भी समूह को भारत या अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगा।

मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में जयशंकर ने कहा कि यह कदम अफगानिस्तान के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था, लेकिन अब तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास में अपग्रेड किया जाएगा। मुत्ताकी ने भारत को "निकटतम मित्र" बताते हुए कहा, "यह दौरा दोनों देशों के बीच समझ और साझेदारी को मजबूत करेगा। हमें आपसी संवाद और सहयोग बढ़ाना चाहिए।"

दौरे का एक प्रमुख हिस्सा 11 अक्टूबर को सहारनपुर के देवबंद स्थित दारुल उलूम देवबंद का दौरा होगा। मुत्ताकी यहां मदरसे के प्रबंधन से मुलाकात करेंगे और विशेष समारोह में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, वे ताजमहल का भी भ्रमण करेंगे। सुरक्षा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश पुलिस और खुफिया विभाग हाई अलर्ट पर हैं।

इस दौरे से पाकिस्तान में हलचल मच गई है। काबुल में आधी रात को पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक को इसकी नाराजगी का संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अफगानिस्तान के करीब आने से पाकिस्तान की क्षेत्रीय रणनीति पर असर पड़ेगा, खासकर आईएसआई की अफगानिस्तान में सक्रियता को लेकर।

आर्थिक मोर्चे पर भी सकारात्मक संकेत हैं। भारत अफगानिस्तान से फल-सब्जियां, मसाले और सूखे मेवे आयात करता है। 2024 में अंजीर, किशमिश, सेब जैसे उत्पादों का आयात 29,000 टन से अधिक रहा। दूतावास के फिर खुलने से व्यापार और विकास परियोजनाएं तेज होंगी, जिसमें भारत की तरफ से एम्बुलेंस और अन्य सहायता शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 30 सितंबर को मुत्ताकी को इस यात्रा की अनुमति दी थी। तालिबान ने भारत से पूर्ण मान्यता की अपील की है, लेकिन भारत ने अभी कोई फैसला नहीं लिया। यह दौरा न केवल कूटनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने